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ट्रेन के गंदे बदबूदार टॉयलेट्स से मिलेगी निजात, रेलवे ने कर ली है बड़ी तैयारी

नई दिल्ली
 ट्रेन में सफर (Train Travel) आपने कभी किया होगा तो आप इस बात की पीड़ा समझ पा रहे होंगे। भारतीय रेल (Indian Railways) की ट्रेन चाहे वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) हो, राजधानी एक्सप्रेस (Rajdhani Express) हो, शताब्दी एक्सप्रेस (Shatabdi Express) हो या कोई अन्य ट्रेन। ट्रेन का टॉयलेट आपको बदबूदार ही मिलेगा। जिस स्टेशन से ट्रेन रवाना होती है, वहां भले ही टॉयलेट साफ-सुथरे मिले, लेकिन थोड़े समय में ही वे गंदे और बदबूदार हो जाते हैं। चलती ट्रेन में कभी-कभार टॉयलेट की सफाई भले ही हो जाती है, लेकिन बदबू दूर नहीं होती। लेकिन रेलवे बोर्ड ने तकनीक का लाभ उठा कर टॉयलेट्स की बदबू दूर करने का प्रयास कर रहा है।

गंदे और बदबूदार टॉयलेट का यह होगा समाधान

हमारे सहयोगी इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे का लक्ष्य प्रौद्योगिकी (Technology) का लाभ उठाकर ट्रेनों में बदबूदार और गंदे शौचालयों की समस्या का समाधान करना है। पिछले कुछ सालों में यूं तो ट्रेन के डिब्बों में खूब सुधार हुअए हैं। लेकिन टॉयलेट की गंदगी और बदबू को दूर करने के प्रयास में सफलता नहीं मिली। इस समय रेल मदद पोर्टल और ऐप पर जितनी शिकायतें मिल रही हैं, उनमें ज्यादातर टॉयलेट्स से ही जुड़ी होती हैं। इन टॉयलेट्स का अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया है।

आईओटी का होगा इस्तेमाल

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड ट्रेन के शौचालयों में दुर्गंध या बदबू का पता लगाने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स या आईओटी (IoT) पर आधारित तकनीक के उपयोग पर विचार कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए मुंबई के एक स्टार्टअप विलिसो टेक्नोलॉजीज (Viliso Technologies) को चुना जा चुका है। अब यह कंपनी कुछ वीआईपी ट्रेन्स के कोचों से करेगा। उन कोचों के टॉयलेट्स में इस तकनीक को आजमाया जाएगा।

कैसे होगा काम

बताया जाता है कि ट्रेन के शौचालयों में दुर्गंध का पता लगाने के लिए सेंसर से लैस स्मार्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है। ये सेंसर हवा में अस्थिर यौगिकों और अणुओं की पहचान कर सकते हैं। वहां से प्राप्त सूचनओं को विश्लेषण के लिए सेंट्रल हब या लैब में भेज सकते हैं। इस विश्लेषण के आधार पर, स्वचालित प्रतिक्रियाएं शुरू की जा सकती हैं, जैसे दुर्गंध का पता चलने पर सफाई कर्मचारियों को सफाई के लिए सचेत करना। यह वास्तविक समय की निगरानी तेजी से हस्तक्षेप और बेहतर गंध नियंत्रण को सक्षम बनाती है।

किन ट्रेनों में पहले आजमाया जाएगा

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पहले जर्मन टेक्नोलॉजी वाले एलएलबी कोच और परंपरागत आईसीएफ कोच वाली कुछ ट्रेनों का चयन किया जाएगा। इनमें वीआईपी ट्रेनें भी होंगी और खूब भीड़-भाड़ वाली ट्रेनें भी। इसके साथ ही वंदे भारत एक्सप्रेस के स्लीपर वैरिएंट पर भी इस तकनीक का परीक्षण किया जाएगा।

क्या करता है यह स्टार्टअप

विलिसो टेक्नोलॉजीज बेहतर स्वच्छता के लिए आईओटी-आधारित उत्पाद पेश करता है। इसके प्रोडक्ट एंड सर्विसेज में , जिसमें गंधवेध Gandhvedh नाम का एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी शामिल है, जो गंध, टोटल वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (TVOC), तापमान और आर्द्रता की निगरानी करता है। शौचालयों में स्थापित, गंधवेध स्वच्छता के लिए जिम्मेदार देखभालकर्ताओं या निगरानी अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मोबाइल और वेब ऐप्स पर गंध डेटा भेजता है।

तकनीक से होते हैं ढेरों काम

इस समय तकनीक की मदद से रेलवे ढेरों काम कर रहा है। जैसे रेलवे ने कुछ ट्रेन ऐप्स (Train Apps) बनाए हैं जिससे यात्री चलती ट्रेन का पोजिशन देख लेते हैं। यात्री ऐप्स के माध्यम से ही ट्रेन में कोच का पोजिशन (Train Coach Position) देख लेते हैं। अब तो इस तरह के ऐप्स भी आ गए हैं कि आप किसी भी चलती ट्रेन के रिजर्व कोच में खाली बर्थ या सीट को देख सकते हैं और उसे बुक करा सकते हैं।

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