Ganj Basoda train Stoppage : फिर ठगा गया गंज बासौदा, विदिशा-सांची को ट्रेन स्टॉपेज की सौगात

गंजबासौदा। लंबे समय से रेल स्टॉपेज की मांग कर रहा गंजबासौदा एक बार फिर मायूस है। विदिशा और सांची को दो महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनों का नया स्टॉपेज मिलने के बाद क्षेत्र में नाराज़गी तेज हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी गंजबासौदा को नजरअंदाज कर दिया गया, जबकि यहां के सांसद और विधायक सत्ताधारी दल से ही आते हैं।
विदिशा को सौगात, गंजबासौदा की उम्मीदें टूटीं
रेल मंत्रालय ने केंद्रीय कृषि मंत्री और विदिशा सांसद शिवराज सिंह चौहान की अनुशंसा पर दो लंबी दूरी की ट्रेनों का स्टॉपेज विदिशा और सांची रेलवे स्टेशन पर स्वीकृत किया है। इसके विपरीत, गंजबासौदा, जहां यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है,को सूची में जगह नहीं मिली।
कुछ दिन पहले गंजबासौदा दौरे के दौरान स्थानीय मंच से भी ट्रेन स्टॉपेज की मांग उठाई गई थी, लेकिन उस पर कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। अब नई स्वीकृतियों के बाद क्षेत्र में यह आरोप और तेज हो गया है कि सांसद ने अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा को प्राथमिकता देते हुए गंजबासौदा की अनदेखी की है। गंजबासौदा को ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं मिलने को लेकर चर्चाओं का माहौल गर्म है। चौक चौराहों पर एक ही चर्चा है कि पहले का विधायक अच्छा था, कम से कम जीतने से पहले ही 3 ट्रेनें एक ही बार में रूकवा दी थी।
गंजबासौदा में ट्रेन स्टॉपेज की मांग पर क्या बोले शिवराज सिंह चौहान, सुनिए
बार-बार आश्वासन, नतीजा शून्य
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने कहा कि वर्षों से हर चुनाव से पहले ट्रेन स्टॉपेज के वादे किए जाते हैं, मगर बाद में फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। युवाओं और यात्रियों के अनुसार राज्य में भाजपा सरकार, केंद्र में भाजपा सरकार, और क्षेत्र के दोनों प्रमुख जनप्रतिनिधि भी भाजपा से होने के बावजूद गंजबासौदा की सुनवाई नहीं हो रही है। रोजाना भोपाल और विदिशा आवागमन करने वाले छात्र खुलकर कह रहे हैं कि उन्हें केवल घोषणाएं मिली हैं, सुविधाएं नहीं। उनका कहना है कि अगर उनके अपने जनप्रतिनिधि उनकी आवाज नहीं सुनते, तो वे किसी अन्य क्षेत्र के सांसद से मदद मांगने को मजबूर होंगे।
नागरिकों में बढ़ता असंतोष
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि गंजबासौदा लगातार रेल सुविधाओं की अनदेखी का शिकार है। उनका आरोप है कि प्रतिनिधि केवल भाषणों में विकास की बात करते हैं, लेकिन असल समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे औपचारिक रूप से पड़ोसी संसदीय क्षेत्रों से समर्थन मांगने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। लोगों का कहना है हमें वादे नहीं, सुविधाएं चाहिए। अब धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है।



