पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति का निधन, मधुलिका अग्रवाल ने दी श्रद्धांजलि

Swaraj Kaushal Passes Away : वरिष्ठ अधिवक्ता, मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का सोमवार को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिल्ली स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना उनकी बेटी और दिल्ली से सांसद बांसुरी स्वराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के माध्यम से साझा की।
उन्होंने लिखा— “पापा स्वराज कौशल का आज निधन हो गया। आप फिर से मां के पास पहुंच गए।”
परिवार की ओर से बताया गया है कि उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4:30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा।
स्वराज कौशल के निधन पर गंजबासौदा नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष मधुलिका रज्जन अग्रवाल ने श्रद्धांजलि दी है। मधुलिका अग्रवाल का परिवार दिवंगत सुषमा स्वराज के करीबी रहा है। स्वराज कौशल के निधन पर उन्होंने उनकी बेटी बांसुरी स्वराज और उनके परिजनों को इस कठिन समय में शक्ति देने की कामना की और कहा की श्री स्वराज कौशल जी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुःख हुआ। पिता का साया उठना एक ऐसी कमी है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएँ आपके साथ हैं।
राजनीति और कानून में लंबा सफर
12 जुलाई 1952 को हिमाचल प्रदेश के सोलन में जन्मे स्वराज कौशल देश के प्रतिष्ठित वकीलों में से एक थे। 1990 में वे मात्र 37 वर्ष की उम्र में मिजोरम के राज्यपाल बने—जो उस समय देश में सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड था। यह उपलब्धि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। वे 1998 से 2004 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे। इससे पहले 1987 से 1990 के बीच उन्होंने मिजोरम के एडवोकेट जनरल के रूप में भी कार्य किया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के तौर पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण क्रिमिनल मामलों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।
सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल
सुषमा और स्वराज कौशल की मुलाकात पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के लॉ विभाग में हुई थी। कॉलेज में शुरू हुई दोस्ती धीरे–धीरे प्रेम में बदली और आखिरकार 13 जुलाई 1975 को दोनों ने विवाह कर लिया। हरियाणा में प्रेम विवाह को लेकर समाज की धारणाओं के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन अंततः दोनों का साथ जीवनभर कायम रहा। सुषमा स्वराज के केंद्रीय राजनीति में आगे बढ़ने के बाद स्वराज कौशल ने सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाकर खुद को परिवार और वकालत तक सीमित कर लिया।
देशभर में शोक की लहर
उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक और न्यायिक जगत में शोक है। देश भर से शोक संदेश आने का सिलसिला जारी है। लोगों का कहना है कि बांसुरी स्वराज इस कठिन घड़ी में भले ही अपने माता-पिता दोनों से वंचित हो गई हों, लेकिन पूरा देश उनके साथ खड़ा है।



