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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गोवर्धन पूजा 2024 तिथि: पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन का विधान है। इस तिथि को अन्नकूट के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन घर में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है। गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ शुभ महोत्सव में पूजा का अभिषेक किया जाता है। लेकिन इस बार की तारीख से लेकर कन्न फ़ुजन की स्थिति बनी हुई है। आइये जानते हैं कब होती है गोवर्धन पूजा, महत्व और पूजन का शुभ उत्सव… कब है गोवर्धन पूजा?

प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ – 1 नवंबर, शाम 6 बजे से 16 मिनट पहले प्रतिपदा तिथि का समापन – 2 नवंबर, रात 8 बजे तक उदय तिथि के आधार पर 2 नवंबर 2024 दिन शनिवार को मनाया जाएगा।

गोवर्धन पूजा का शुभ दिन 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन गोवर्धन पूजा का समापन 6 मंदिर 30 मिनट से 8 मंदिर 45 मिनट तक है। गोवर्धन पूजा के लिए आपको 2 घंटे 45 मिनट का समय मिलेगा।

गोवर्धन पूजा का भोग गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाया जाता है और उसी का भोग लगाया जाता है। भगवान कृष्ण के अन्नकूट के साथ 56 भोग का प्रसाद भी बनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा होती थी, लेकिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के बजाय इंद्र के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था। भगवान कृष्ण की बात सभी बागवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा का अभिषेक करने लगे, जब यह जानकारी देवराज इंद्र को मिली तो उन्होंने अपने घमंड में चूर पूरे बागों में तूफान और बारिश से तबाही मचा दी। धीरे-धीरे हर वस्तु जलमग्न हो रही थी, तब भगवान कृष्ण ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को पर्वतीय ब्रजवासियों की रक्षा की थी और इसी के साथ इंद्र के घमंड को भी अपना बना लिया था। चारों ओर की तरह के घर से जुड़े सभी की वजह से सभी का समग्र अन्नकूट तैयार हो गया, तब से हर साल इस तिथि को गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजन विधि गोवर्धन पूजा वाले दिन ब्रह्मा मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा करके अभिषेक करें। साथ ही दो बार घर के आंगन में गोवर्धन महाराज की मूर्ति स्थापित। गोवर्धन महाराज के साथ गाय, शैलड़े व ब्रज आदि की भी मूर्ति बनी हुई है। इसके बाद प्रतिमा को फूल व खलील से चिपकाया जाता है और फिर शुभ मंदिर में गोवर्धन महाराज के साथ गाय, गोपी आदि को रोली, अक्षत और चंदन की माला दी जाती है। बीच बीच में पूरे परिवार के साथ गोवर्धन महाराज के जयकारे और भजन भी गाए। इसके बाद फिर दूध, पान, खलीलशे, अन्नकूट आदि बच्चों को पानी में मिलाकर पूरे परिवार के साथ पानी में डुबोकर सात बार की तुलना करें। दर्शन करने के बाद घी का दीपक आरती करें और फिर गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं। इसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।

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