मध्य प्रदेश

MP Politics: निगम-मंडल नियुक्तियों को लेकर खींचतान, मोहन, शिवराज और हेमंत आमने-सामने

Tussle between CM Mohan Yadav and Shivraj over MP corporation board appointments

MP Politics: मध्यप्रदेश में निगम-मंडलों की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर मतभेद गहराए हैं। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल आम कार्यकर्ताओं को मौका देने के पक्ष में हैं, जिसके चलते निगम-मंडलों की सूची फिलहाल अटकी हुई है।

तीन नेताओं के खींचतान, अटकी नियुक्तियां

सूत्रों का कहना है कि सीएम मोहन यादव अपने विश्वस्त नेताओं को निगम-मंडलों में जगह देना चाहते हैं, जबकि शिवराज सिंह चौहान अपने खेमे के पुराने साथियों को पद दिलाने के लिए दबाव बना रहे हैं। दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल संगठन के सक्रिय कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने की बात पर अड़े हुए हैं। इसी खींचतान के कारण मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई बैठक में निगम-मंडलों की सूची पर सहमति नहीं बन सकी। बताया जाता है कि बैठक में शिवराज सिंह चौहान और उनके करीबी नेता शामिल नहीं हुए, जिसके चलते निर्णय टल गया।

शिवराज और मोहन के बीच बढ़ी दूरी

पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवराज सिंह और सीएम मोहन यादव के बीच मतभेद केवल नियुक्तियों को लेकर ही नहीं, बल्कि योजनाओं के नाम बदलने के मुद्दे पर भी हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में ‘सीएम राइज स्कूल’ का नाम बदलकर ‘सांदपनि स्कूल’ कर दिया था। अब वे ‘लाड़ली बहना योजना’ का नाम बदलकर ‘देवी सुभद्रा योजना’ करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस फैसले से शिवराज सिंह नाराज़ हैं, क्योंकि लाड़ली बहना योजना उनकी प्रमुख पहल थी। सीएम मोहन यादव बुधवार को सिवनी में आयोजित कार्यक्रम में योजना के नए नाम की आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं।

केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंचा मामला

निगम-मंडल नियुक्तियों को लेकर जारी टकराव अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गया है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पार्टी के केंद्रीय नेताओं को पूरी स्थिति की जानकारी दी है और निगम-मंडलों की संशोधित सूची भी सौंपी है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों से पहले भाजपा संगठन में इन नियुक्तियों की अहम भूमिका होगी। यही कारण है कि हर गुट अपने समर्थकों को पद दिलाने की कोशिश में जुटा हुआ है। अब देखना यह होगा कि केंद्रीय नेतृत्व इस खींचतान पर क्या फैसला लेता है और निगम-मंडलों की नियुक्तियों की सूची कब जारी होती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button