उत्तर प्रदेशराज्य

डीजल इंजन की तुलना में कम प्रदूषण करने वाली हाइड्रोजन ट्रेन देश में चलाने की तैयारियां तेज

लखनऊ
डीजल इंजन की तुलना में कम प्रदूषण करने वाली हाइड्रोजन ट्रेन देश में चलाने की तैयारियां तेज हैं। हरियाणा के जींद से सोनीपत तक का मार्ग और 110 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम स्पीड भी तय है। जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद भारत हाइड्रोजन ट्रेन संचालित करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा। हाइड्रोजन फ्यूल वाली ट्रेन का डिजाइन अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) लखनऊ ने तैयार किया है। आरडीएसओ के अधिकारी ने बताया, वंदे भारत ट्रेन इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई में तैयार हुई थी, वहीं हाइड्रोजन फ्यूल ट्रेन पर काम चल रहा है।

नमो ग्रीन रेल हो सकता है नाम
माना जा रहा है कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का नाम नमो ग्रीन रेल हो सकता है, क्योंकि आरडीएसओ द्वारा लांच किए गए मॉडल ट्रेन सेट पर नमो ग्रीन रेल लिखा हुआ है।  हालांकि, हाइड्रोजन ट्रेन का आधिकारिक नाम अभी फाइनल नहीं किया गया है।आरडीएसओ स्टेडियम परिसर में इनो रेल इंडिया 2024 की प्रदर्शनी में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, रूस, जापान देशों सहित 150 से अधिक कंपनियों ने स्टॉल सजाया है।

इस दौरान उन्नत तकनीक व नवप्रयोगों पर आधारित रेलवे के समृद्ध भविष्य पर भी चर्चा हुई। साथ ही रेल की दक्षता, सुरक्षा व सुंदरता को बढ़ाने के लिए नवीनतम प्रगति पर तीन दिन तक विमर्श करते रहने का सिलसिला शुरू हो गया है।  प्रदर्शनी में हाई-स्पीड रेल, शहरी जन, भारत में बुलेट और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें, यातायात अनुकूलन के लिए आधुनिक तकनीकें, स्मार्ट रोलिंग स्टाक जैसे विषयों पर सेमिनार और तकनीकी चर्चाएं हुई।  हर दो साल पर होने वाले इस आयोजन का पहला संस्करण 2014 में हुआ था, आरडीएसओ के साथ सीआईआई भी इस आयोजन की भागीदार है।

हाइड्रोजन ट्रेन की खासियत
400 किलो हाइड्रोजन भरने की क्षमता
375 किलोमीटर की चार फेरे लगेंगे
89 किमी है सोनीपत से जींद की दूरी
08 कोच की ट्रेन दुनिया की सबसे बड़ी हाइड्रोजन ट्रेन होगी
2,638 यात्रियों की क्षमता के साथ चलाया जाएगा
110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से किया जाएगा ट्रायल

ट्रेनों में इंवेंट रिकॉर्डर करेगा ब्लैक बॉक्स जैसा काम
वंदे भारत, मेट्रो सहित अन्य अत्याधुनिक ट्रेनों के दरवाजे स्वचालित हैं। लोकोमोटिव पायलट ट्रेन रोकने को ब्रेक लगाता है, ब्रेक पलक झपकते ही लगता है। ऐसे ही इलेक्ट्रिक ट्रेनों में पेंटोग्राफ (विद्युतग्राही) बिजली लाइन से जोड़ा जाता है, अगला स्टेशन आने आदि का अनाउंस होता है, यह सारी गतिविधि कम्युनिकेशन सिस्टम से होती है।  जर्मनी की कंपनी ड्यूगान ने तो इससे भी एक कदम आगे इंवेंट रिकॉर्डर भी तैयार किया है, जिसमें ट्रेन के पायलट से लेकर कोच आदि की सारी गतिविधि रिकॉर्ड हो जाएगी। ठीक उसी तरह जैसे हवाई जहाज में ब्लैक बॉक्स किसी भी हादसे का सबसे बड़ा गवाह होता है। ड्यूगान के सेल्स व मार्केटिंग उपाध्यक्ष जीवित वशिष्ठ ने बताया कि यह जर्मनी की कंपनी है, जो ट्रेनों व यात्रियों की सुरक्षा को लेकर नए-नए कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार कर रही है।

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